Wednesday, June 30, 2010

भगवदसुमरिन का,


परिस्थितियों में सम रहने की सजगता का, परमात्म-विश्रान्ति का, आकाश में

एकटक निहारने का, श्वासोच्छवास में सोऽहं जप द्वारा समाधि-सुख में जाने का

आदरसहित अभ्यास करना। कभी-कभी एकांत में समय गुजारना, विचार करना कि इतना

मिल गया आखिर क्या ? अपने को स्वार्थ

... से बचाना। स्वार्थरहित कार्य ईश्वर को कर्जदार बना देता है

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