Friday, October 30, 2009
man
मनः एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयोः । मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कराण है । शुभ संकल्प और पवित्र कार्य करने से मन शुद्ध होता है, निर्मल होता है तथा मोक्ष मार्ग पर ले जाता है । यही मन अशुभ संकल्प और पापपूर्ण आचरण से अशुद्ध हो जाता है तथा जडता लाकर संसार के बन्धन में बांधता है । रामायण में ठीक ही कहा है :निर्मल मन जन सो मोहि पावा ।मोही कपट छल छिद्र न भावा
Tuesday, October 27, 2009
अनित्य शरीर
अनित्य शरीर
शरीर अनित्य है , वैभव नश्वर है , मुर्त्यु सदा नजदीक आ रही है ! अन्तः लाला ललिया देविया धर्म और पुण्य का संग्रह कराने में लग जावो आत्मा गियान बढाते जावो ...........पूज्य गुरुदेव
शरीर अनित्य है , वैभव नश्वर है , मुर्त्यु सदा नजदीक आ रही है ! अन्तः लाला ललिया देविया धर्म और पुण्य का संग्रह कराने में लग जावो आत्मा गियान बढाते जावो ...........पूज्य गुरुदेव
GURUDEV
I BOW TO GURU'S HOLY FEET WHICH ARE THE DISPELLER OF IGNORANCE
GURUDEV KRIPA KE SAGAR HAI MANUSHAY KE RUP ME BHAGAWAN HAI ! MAYA-MOH KE GHOR ANDHAKAR KO NASH KARANE KE LIYE JINKE VACHAN SURYA KE KIRANO KE SAMUH KE SAMAN HAI , UN GURUDEV KE CHARAN KAMLO ME VANDAN KARATA HU .......WE BOW TO GURU'S HOLY FEET WHICH ARE THE DISPELLER OF IGNORANCE .........GURU BIN BHAV NIDHI TARAI NA KOI! JO BIRNCHI SANKAR SAM HOI
GURUDEV KRIPA KE SAGAR HAI MANUSHAY KE RUP ME BHAGAWAN HAI ! MAYA-MOH KE GHOR ANDHAKAR KO NASH KARANE KE LIYE JINKE VACHAN SURYA KE KIRANO KE SAMUH KE SAMAN HAI , UN GURUDEV KE CHARAN KAMLO ME VANDAN KARATA HU .......WE BOW TO GURU'S HOLY FEET WHICH ARE THE DISPELLER OF IGNORANCE .........GURU BIN BHAV NIDHI TARAI NA KOI! JO BIRNCHI SANKAR SAM HOI
Saturday, October 24, 2009
ब्रमवेता महापुरुष
ब्रमवेता महापुरुष
बारह कोष चलकर जाने से भी यदि सत्पुरुष के दर्शन मिलते है तो में पेदल चलाकर जाने के लिए तेयार हु कयोकी इसे ब्रह्म्वेता महापुरुष के दर्शन से कैसा अध्यात्मिक लाभ मिलता है वह में अच्छी तरह जनता हु ...........स्वामी विवेकानंद .
बारह कोष चलकर जाने से भी यदि सत्पुरुष के दर्शन मिलते है तो में पेदल चलाकर जाने के लिए तेयार हु कयोकी इसे ब्रह्म्वेता महापुरुष के दर्शन से कैसा अध्यात्मिक लाभ मिलता है वह में अच्छी तरह जनता हु ...........स्वामी विवेकानंद .
जगत की सेवा
Udar ho kar jagat ki seva kare , vikaro se swadhin hokar mukti ka anubhav kare ! shudh prem ke vikas se prabhu bhakti ka purn anbhubhav kare .. .........Pujya Gurudev
naresh motwani: Udar ho kar jagat ki seva kare , vikaro se swadhin hokar mukti ka anubhav kare ! shudh prem ke vikas se prabhu bhakti ka purn anbhubhav kare .. .........Pujya Gurudev
naresh motwani: Udar ho kar jagat ki seva kare , vikaro se swadhin hokar mukti ka anubhav kare ! shudh prem ke vikas se prabhu bhakti ka purn anbhubhav kare .. .........Pujya Gurudev
कबीरा
कबीरा कुत्ता राम का, मोतिया मेरा नाम l
गले राम की जेवरी, जित खीचें उत जाऊंll त्यों त्यों करे तो बाहुरों, दूर दूर करे तो जाऊँ l
ज्यों हरि राखे सो रहूँ, जो देवे सो खाऊं ll
गले राम की जेवरी, जित खीचें उत जाऊंll त्यों त्यों करे तो बाहुरों, दूर दूर करे तो जाऊँ l
ज्यों हरि राखे सो रहूँ, जो देवे सो खाऊं ll
Friday, October 23, 2009
आशीर्वाद
Sabkaa Mangal Sabkaa bhalaa ho, Guru chahnaa aisi hai |
|| Isee liye to Aaye dhara par Sadguru Asaramji hain
|| Isee liye to Aaye dhara par Sadguru Asaramji hain
दिले दिलबर
यह कौन सा उकदा जो हो नहीं सकता।
तेरा जी न चाहे तो हो नहीं सकता
छोटा सा कीड़ा पत्थर में घर करे।
इन्सान क्या अपने दिले-दिलबर में घर न करे
तेरा जी न चाहे तो हो नहीं सकता
छोटा सा कीड़ा पत्थर में घर करे।
इन्सान क्या अपने दिले-दिलबर में घर न करे
आशीर्वाद
दुनिया की सब चीजें कितनी भी मिल जायें, किंतु एक दिन तो छोड़कर जाना ही पड़ेगा।
आज मृत्यु को याद किया तो फिर छूटने वाली चीजों में आसक्ति नहीं होगी, ममता नहीं होती और जो कभी छूटने वाला नहीं है,
उस अछूट के प्रति, उस शाश्वत के प्रति प्रीति हो जायेगी,
तुम अपना शुद्ध-बुद्ध, सच्चिदानंद, परब्रह्म परमात्म-स्वरूप पा लोगे।
जहाँ इंद्र का वैभव भी नन्हा लगता है, ऐसे आत्मवैभव को सदा के लिए पा लोगे।
आज मृत्यु को याद किया तो फिर छूटने वाली चीजों में आसक्ति नहीं होगी, ममता नहीं होती और जो कभी छूटने वाला नहीं है,
उस अछूट के प्रति, उस शाश्वत के प्रति प्रीति हो जायेगी,
तुम अपना शुद्ध-बुद्ध, सच्चिदानंद, परब्रह्म परमात्म-स्वरूप पा लोगे।
जहाँ इंद्र का वैभव भी नन्हा लगता है, ऐसे आत्मवैभव को सदा के लिए पा लोगे।
Thursday, October 22, 2009
प्रेम
यह मोहब्बत की बातें है उद्धव, बंदगी अपने बस की नही है।
यहाँ सिर देकर होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।।
प्रेमवालों ने कब किससे पूछा ? किसको पूजूँ बता मेरे उद्धव।
यहाँ दम-दम पर होते हैं सिजदे, सिर घुमाने की फुरसत नहीं है।।
यहाँ सिर देकर होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।।
प्रेमवालों ने कब किससे पूछा ? किसको पूजूँ बता मेरे उद्धव।
यहाँ दम-दम पर होते हैं सिजदे, सिर घुमाने की फुरसत नहीं है।।
Wednesday, October 21, 2009
दरिद्रता मिटाने के उपाय
ग़रीबी - दरिद्रता मिटाने के लिए
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार अगर तुलसी की परिक्रमा करते हो, ओंकार का थोड़ा जप करते हो, सूर्य नारायण को अर्घ्य देते हो; यह सब साथ में करो तो अच्छा है, नहीं तो खाली तुलसी को 108 बार प्रदक्षिणा करने से तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी l
अगली सोमवती अमावस्या 16th Nov'09 को है
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार अगर तुलसी की परिक्रमा करते हो, ओंकार का थोड़ा जप करते हो, सूर्य नारायण को अर्घ्य देते हो; यह सब साथ में करो तो अच्छा है, नहीं तो खाली तुलसी को 108 बार प्रदक्षिणा करने से तुम्हारे घर से दरिद्रता भाग जाएगी l
अगली सोमवती अमावस्या 16th Nov'09 को है
अमृत सुधा
Sansar se priti karna Ghode ki punch pakadate ke barabar hai ! yah priti ghashitkar girayegi ! Parmatma se priti karana Ghode ki lagam pakadane ke barabar hai ! Yah Priti mukti ki manjil tak avashay phuhuchayegi ..........Pujaya Gurudev
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