Wednesday, February 9, 2011

मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। बालिकादेवो भव।
कन्यादेवो भव। पुत्रदेवो भव।
माता पिता का पूजन करने से काम राम में बदलेगा, अहंकार प्रेम में बदलेगा, माता-पिता के आशीर्वाद से बच्चों का मंगल होगा।

Friday, February 4, 2011

न भूतकाल की बातें सोचते रहें न वर्तमान में कुछ न भविष्य की कल्पना | इससे पार हो जाएँ ताकि वर्तमान भी बढ़िया रहे, भविष्य भी बढ़िया रहे | इसमें उलझे न रहे कि मेरा वर्तमान अच्छा हो ताकि मेरा भविष्य भी अच्छा हो जाये | खाली इसी में ही उलझे नहीं रहना है, इससे पार हो जाओ

Tuesday, February 1, 2011

जैसे कर्म होते हैं, जैसा चिंतन होता है, चिंतन के संस्कार होते हैं वैसी गति होती है, इसलिए उन्नत कर्म करो, उन्नत संग करो, उन्नत चिंतन करो। उन्नत चिंतन, उत्तरायण हो चाहे दक्षिणायण हो, आपको उन्नत करेगा।