Tuesday, February 1, 2011

जैसे कर्म होते हैं, जैसा चिंतन होता है, चिंतन के संस्कार होते हैं वैसी गति होती है, इसलिए उन्नत कर्म करो, उन्नत संग करो, उन्नत चिंतन करो। उन्नत चिंतन, उत्तरायण हो चाहे दक्षिणायण हो, आपको उन्नत करेगा।

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