Friday, October 30, 2009

man

मनः एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयोः । मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कराण है । शुभ संकल्प और पवित्र कार्य करने से मन शुद्ध होता है, निर्मल होता है तथा मोक्ष मार्ग पर ले जाता है । यही मन अशुभ संकल्प और पापपूर्ण आचरण से अशुद्ध हो जाता है तथा जडता लाकर संसार के बन्धन में बांधता है । रामायण में ठीक ही कहा है :निर्मल मन जन सो मोहि पावा ।मोही कपट छल छिद्र न भावा

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