यह मोहब्बत की बातें है उद्धव, बंदगी अपने बस की नही है।
यहाँ सिर देकर होते हैं सौदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।।
प्रेमवालों ने कब किससे पूछा ? किसको पूजूँ बता मेरे उद्धव।
यहाँ दम-दम पर होते हैं सिजदे, सिर घुमाने की फुरसत नहीं है।।
Thursday, October 22, 2009
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