Sunday, March 14, 2010

लोभी धन के लिए रोता है , मोह़ी परिवार के लिए रोता है आँशु बहाता है , अहंकारी कुर्सी पद प्रतिष्ठा के लिए रोता है , लेकिन तेरा प्यारा भक्त तुझे पुकारते हुए मीरा की नाई विरह के आँशु बहाता है , धन्य हो जाता है ..पत्थर दिल तू संसार के लिए तो रोता पिघलता है , लेकिन प्रभु के लिए क्यों नहीं पिघलता

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