Sunday, November 8, 2009

संसार के भोग

ऐसा कोई भोग नहीं है जो भोक्ता को शांति दे सके; ऐसा कोई बाहर का सुख नहीं है, जो सुख लेने वाले को परेशानी ना दे; यह बात बुद्धि में जब तक समझ में नहीं आती, तब तक सुख-स्वरूप आत्मा में आदमी अंतर्मुख नहीं होता;

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