Wednesday, December 23, 2009

मेरे नाथ !


आप अपनी सुधामयी,

सर्व समर्थ,

पतित पावनी,

अहैतु की कृपा से

मानवमात्र को विवेक का आदर

तथा बल का सदुपयोग करने की सामर्थ्य प्रदान करें

एवं

हे करुणासागर !

अपनी अपार करुणा से शीघ्र ही

राग द्वेष का नाश करें


सभी का जीवन सेवा, त्याग, प्रेम से परिपूर्ण हो जाए

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