मेरे नाथ !
आप अपनी सुधामयी,
सर्व समर्थ,
पतित पावनी,
अहैतु की कृपा से
मानवमात्र को विवेक का आदर
तथा बल का सदुपयोग करने की सामर्थ्य प्रदान करें
एवं
हे करुणासागर !
अपनी अपार करुणा से शीघ्र ही
राग द्वेष का नाश करें
सभी का जीवन सेवा, त्याग, प्रेम से परिपूर्ण हो जाए
Wednesday, December 23, 2009
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