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AMRUT SUDHA
Wednesday, December 23, 2009
विश्राम के लिये यह महामन्त्र अपनाना अनिवार्य है कि अपने लिये कभी कुछ नहीं करना है और न आज तक किया हुआ अपने काम आया है । कर्म का परिणाम जो कुछ होता है, उसकी पहुँच शरीर तक ही रहती है
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