Monday, May 10, 2010

 हे वत्स !उठ.... ऊपर उठ।प्रगति के सोपान एक के बाद एकतय करता जा।दृढ़ निश्चय कर कि'अब अपना जीवनदिव्यता की तरफ लाऊँगा।

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