Happy new Year Prathna
हे मेरे अंतर्यामी ! अब मेरी ओर जरा कृपादृष्टि करो । बरसती हुई आपकी अमृतवर्षा में मैं भी पूरा भीग जाऊँ मेरा मन मयूर अब एक आत्मदेव के सिवाय किसीके प्रति टहुँकार न करे
हे प्रभु ! हमें विकारों से, मोह ममता से, अपने आपमें जगाओ । हे मेरे मालिक ! अब कब तक मैं भटकता रहूँगा ? मेरी सारी उमरिया बिती जा ...रही है कुछ तो रहमत करो कि अब आपके चरणों का अनुरागी होकर मैं आत्मानन्द के महासागर में गोता लगाऊँ
Saturday, January 2, 2010
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