Friday, April 9, 2010

बालक जबतक जीता है, चाहे बड़ा हो जाये, माँ रक्षा करती ही है इश्वररुपी माँ मरनेवाली नहीं है, इसलिए हमें चिन्ता नहीं करनी चाहिए


हर स्थिति में हर जगहप्रभु की सहज कृपा पर विश्वाश करने वाले भक्त को प्रत्येक परिस्थिति में उनकी अनुकम्पा का अनुभव होता हैं. स्थितिया बदलती रहते हैं परन्तु उसे अटल विश्वास रहता हैं की प्रभु सदेव उसका कल्याण ही करते हैं , इसलिए वहा सर्वदा प्रमुदित रहता हैं.

भगवान् से कह दो-"हे प्रेमास्पद! भोग और मोक्ष की भूख मिटा दो, प्रियता की भूख जगा दो,अपने निर्मित जीवन को अपने लिये उपयोगी बना लो"। वे व्यथित हॄदय की पुकार शीघ्र सुनते हैं,यह निर्विवाद सत्य है। यद्दपि वे स्वत: सब कुछ जानते हैं,फिर भी व्यथित हृदय से पुकारती रहो।जैसे रखें वैसे रहो,पर अनेक रुपों में उन्हीं को देखते हुए अनेक प्रकार से उन्हीं को लाड़ लड़ओ।वे सदैव तुम्हारे और तुम उनकी हो।

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