पानी तो वही का वही लेकिन समयानुसार उपयोग का असर पृथक-पृथक होता है। ऐसे ही मन तो वही, शरीर भी वही लेकिन किस समय शरीर से, मन से क्या काम लेना है इस प्रकार का ज्ञान जिसके पास है वह मुक्त हो जाता है। अन्यथा कितने ही मंदिर-मस्जिदों में जोड़ो एवं नाक रगड़ो, दुःख और चिन्ता तो बनी ही रहेगी।
कभी न छूटे पिण्ड दुःखों से।
जिसे ब्रह्म का ज्ञान नहीं।।
Monday, April 19, 2010
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