Friday, April 2, 2010

निर्भर भक्ति में कुछ नहीं करना पड़ता।बस,केवल निर्भरता को अपने जीवन में उतारना पड़ता है।इस भक्ति में हमारे सामने आदर्श है शिशु।छोटा बच्चा माँ की मार से बचने के लिये भी माँ की ही गोद में घुसता है।जो इस प्रकार निर्भर है भगवान् पर,वही वास्तविक निर्भर है।

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