जैसे बच्चा माँसे दूर चला जाय तो माँ को उसकी बहुत याद आती है।माताओं की ऐसी बात सुनी हैं।दीपावली,अक्षय तृतीया आदि त्यौहार आते हैं तो माताएँ कहती हैं कि क्या बनायें? लड़का तो घर पर है नहीं,अच्छी चीज बनाकर किसको खिलायें?ऐसे ही भगवान् के लड़के हमलोग चले गये विदेशमें!अब भगवान् कहते हैं कि क्या करुँ?क्या दूँ?लड़का तो घरपर ही नही है!वह तो धन-सम्पति की तरफ लगा है,खेल-कू
वह तो धन-सम्पति की तरफ लगा है,खेल-कूद में लगा है!
तुम यदि अपनेको भगवान् के प्रति सौंप देते हो,अपनी इच्छाओंको भगवान्की इच्छामें मिला देते हो एवं अपने ज्ञान और बलको भगवान् के ज्ञान और बल का अंश मान लेते हो तो निश्चय समझो-फिर तुम भगवान् की मङ्गलमयी इच्छासे मङ्गलमय बनकर केवल अपना ही कल्याण नहीं करोगे;तुम्हारा प्रत्येक विचार,तुम्हारा प्रत्येक निश्चय और तुम्हारी प्रत्येक क्...रिया अखिल जगत् का मङ्गल करोगे
Monday, April 12, 2010
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