Tuesday, April 20, 2010

हे नाथ! हमें आपके चरित्र अच्छे लगें,आपकी लीला अच्छी लगे,आपके गुण अच्छे लगे,तो यह आपके कृपा ही है,हमारा कोई बल नहीं है।आज जो हम आपका नाम ले रहे हैं,आपकी चर्चा सुन रहे हैं,आपमें लगे हुए हैं,यह केवल आपकी ही कृपा है।काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद जैसे कितने-कितने अवगुण भरे हुए हैं और कैसा कलियुग का समय है! ऐसे समयमें आपके तरफ वृति होती है तो यह केवल आपकी कृपा है।

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