कई प्रकार के कर्म होते हैं , लेकिन भगवान और संत से निगुरों , सगुरे की मुलाकात करना कितनी बड़ी सेवा है ….
वाह- वाही के लिए , चाटुकारी के लिए तो नेता भी सेवा कर लेता है , रोटी के टुकड़े के लिए तो कुत्ता भी पूछ हिला देता है …लेकिन मान – अपमान , ठंडी -गर्मी , आंधी -तूफ़ान
Monday, April 19, 2010
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