Monday, April 26, 2010

जब तक सुख भोग और आराम का उद्देश्य है, सुख भोग और आराम की अंदर में आसक्ति है, उसकी महत्ता है तब तक पारमार्थिक उद्देश्य बनता ही नहीं। तत्व प्राप्त होते हुए भी अप्राप्त रहता है

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