Tuesday, April 6, 2010
अब समझो की इस मनुष्य देह से विशेष सम्बन्ध नहीं …जैसे और देह छुट गया ऐसे ये भी छुट जाएगा…जहां जाना है वहाँ पहुँचने के लिए जैसे बस से जाते तो पहुँचने पर बस छोड़ देते ऐसे इस शरीर को छोड़ देंगे..ऐसे शरीर सबंध को छोड़ देंगे…इन को साथ नहीं रख सकते…आप तो असल में चैत्यन्य है लेकिन जुड़ते संबंधो से…मनुष्य देह में आये.. ये सदा साथ नहीं रहेता… ऐसे शरीर के संबंधो को सदा साथ में नहीं रख सकते.. जो सदा साथ है, उस को कभी छोड़ नही सकते, तो जिस को छोड़ नहीं सकते उस को ‘मैं ’ मानने में क्या आपत्ति है? उस को अपना ‘मैं ’ मानो… जिस को नहीं रख सकते उस की आसक्ति छोड़ दीजिये…
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