Saturday, April 24, 2010

केवल भगवान् का आश्रय ले ले तो सदाके लिये मौज हो जाये! स्वप्नमें भी किसीकी किञ्चिन्मात्र भी गरज न रहे! जब किसी-न-किसी का आश्रय लेना ही पड़ता है तो सर्वोपरिका ही आश्रय लें छोटेका आश्रय क्या लें?अत: सबसे पहले ही यह मान लें कि भगवान् हमारे और हम भगवान् के हैं।

No comments:

Post a Comment