Monday, April 19, 2010

हे प्रभो! थोड़ी-सी योग्यताआते ही हमेंअभिमान होजाता है! योग्यतातो थोड़ी होती है,पर मान लेते हैंकि हमतो बहुत बड़े होगये,बड़े भक्त बन गये,बड़े त्यागी,बन गये!भीतरमें यह अभिमानभरा है नाथ! आपकी ऐसीबात सुनी हैकि आप अभिमानसे द्वेश करते हो और दैन्यसे प्रेम करते हो।अगर आपको अभिमान सुहाता नहीं हैतो फिरउसको मिटादो,दूर करदो।बालककीचड़से सना होऔर गोदीमें जाना चाहता होतो

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